Madhu Arora

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लेखनी कहानी -05-May-2022प्रतीक्षित

प्रतीक्षित हूं कब से तुम्हारे लिए
दरश दो बांके हमारे लिए।

राह निहारुँ   तेरी हरदम
प्रीत तुझसे करती हूं मोहन।

ना मुझे अब  अधीर करो
मन की पीड़ा मेरी सारी हरो।

प्रतीक्षा मेरी निलंबित कर दो
राह मेरी आसान कर दो।

तुम मुझको अब  यूं ना तरसाओ
दरस दिखाओ मोहन अब तो आ जाओ।

रोज गूंथती हूं भावो की माला।
कैसे सुनाऊं अपने दिल का हाला।

भाव समर्पित करती हूं आला
आ जाओ अब तो नंदलाला

प्रतीक्षा मेरी समाप्त कर दो
आकर अब तो दरश दिखा दो‌।।
       रचनाकार ✍️
       मधु अरोरा
       4.5.२०२२

#ओपन माइक प्रतियोगिता हेतु 

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8 Comments

Reyaan

06-May-2022 11:34 AM

🙏🏻👌👏

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Neha syed

05-May-2022 08:14 PM

Nice 👍

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Swati chourasia

05-May-2022 07:38 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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